तोड़ दें बेड़ियां भेद जो हैं बनातीं, शुरू कर निभाएं मानवीय परंपराएं। तोड़ दें बेड़ियां भेद जो हैं बनातीं, शुरू कर निभाएं मानवीय परंपराएं।
आज मैं भी कुछ कदम भरूँ, और आज जिऊँ तो खुल के जिऊँ ! आज मैं भी कुछ कदम भरूँ, और आज जिऊँ तो खुल के जिऊँ !
आज सदा के लिए अपनों में फिर से वापिस लौट आया था। आज सदा के लिए अपनों में फिर से वापिस लौट आया था।
आए खाली हाथ थे इस जहाँ में एक दिन, पाकर तेरी मोहब्बत खुद को ज़रदार^ कर दें तो। आए खाली हाथ थे इस जहाँ में एक दिन, पाकर तेरी मोहब्बत खुद को ज़रदार^ कर दें तो...
आख़िरकार यही हम यही खो गए, बिन फेरे हम तेरे जाने कब हो गए, अब तो वफ़ा-ए-इश्क का इज़ आख़िरकार यही हम यही खो गए, बिन फेरे हम तेरे जाने कब हो गए, अब तो वफ़ा-ए-इ...
एक बहन में एक मां है एक भाई में एक पिता है। पुरुष के अंदर एक महिला होती है। एक बहन में एक मां है एक भाई में एक पिता है। पुरुष के अंदर एक महिला होती है...